Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कौन कम्भख्त कहता है ...

 

कौन कम्भख्त कहता है दौलत से खुशियाँ नहीं खरीदी जाती हैं ,
यहां तो एक एक सेकेंड की खुशियाँ बिकती हैं |
अभी कल ही तो खरीदी थी एक घंटे की मैंने |
सहमत न हो तो आप भी आजमा करके देखो ,
शत प्रतिशत गारंटी है आपको भी मिलेगी पल दो पल की ख़ुशी चन्द्पैसों में |

 



बातें कहने में बड़ी अच्छी लगती हैं ,
कभी सच होती भी होंगी आज धुंदली सी लगती हैं |
इस दो पल की ख़ुशी की कीमत सत्तर प्रतिशत हिन्दुस्तानियों से पूछो ,
जो जेब की कड़की में चन्द्लम्हे नहीं खरीद पाते |
कहते हैं ईश्वर ने सुख और दुःख बराबर बाटे हैं,
कहीं भगवान भी तो रिश्वत नहीं लेने लग गए |

 

 

 

कुछ कहेंगे उनके कर्मों का फल है ,
तो भई आपने भी कौन से सत्कर्म किये हैं |

 

 

अगर भाग्य कर्मों का फल है,
तो निश्चित उनकी आज की हालत , कल आप की होगी |
इन पैसों से पल दो पल की खुशियाँ खरीद तो लोगे ,
मन का सुख और सुकून नहीं पा पाओगे |

 

 

इस बढ़ते हुए अंतर में कहीं सारी नैतिकता वक़्त की आँधियों में न खो जाये ,
आदमी का ज़मीर कहीं बिल्कुल न सो जाये |
क्यों न खुशियाँ खरीदने के तरीके बदले जाएं ,
करें कुछ ऐसा इस दौलत से उनकी ,आपकी सबकी खुशियाँ आ जाएं |
चलो छोड़ो ये सब बातें हैं ,
कहाँ आप अपने व्यस्त समय से इस लेख में उलझ गए |
ये तो एक कान से हो कर दूसरे से निकल जाती हैं ,

 

 

कौन कम्भख्त कहता है दौलत से खुशियाँ नहीं खरीदी जाती हैं |

 

 

Ayushi Gupta

 

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