Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कर्मवीर

 

कर्मवीर


कर्मवीर,

यानि कर्मशील,

कर्मठता पुरुषार्थ सहित,

हिन्द हुआ इनपर गर्वित ।   (४)


ये जैसे कि साहसी योद्धा,

जीवनदायी निर्मल पौधा,

ये खिलाड़ी, हम सब श्रोता,

उत्तरदायित्व से ना समझोता ।   (८)

फ़ौजी रहता सरहद पर,

ये रक्षक मेरे अंदर,

अपनी जान हथेली पर

मेरा ये परमेश्वर ।            (१२)


इसकी महिमा अपरमपार,

तप का इसमें है अंबार

बड़ा अहम इसका किरदार,

ये जैसे मेरी तलवार ।         (१६) 


सेना ने लिया संज्ञान,

दिल से व्यक्त किया सम्मान

गदगद ख़ुश सारा आसमान

नाज़, हर्ष, बेहद अभिमान ।    (२०) 


पुष्प वर्षा कर ज़ाहिर जज़्बात,

जैसे हो सवगत बारात,

अद्भुत नज़ारा प्रातः प्रभात,

हो ऊंचा मनोबल, दी सौगात ।   (२४)


आभार प्रकट, किया धन्यवाद,

बोले – “हिन्द है आपके साथ”,

दिल से दिल का था संवाद

गहरी की एका की खाद ।     (२८)


अनुग्रहित थे लड़ाकू विमान,

की फ्लाई पास्ट, अचंभित जहान,

दृश्य अनुपम, था कांतिमान,

नतमस्तक समक्ष देश की आन ।   (३२)


लाजवाब बेजोड़ था माध्यम,

उत्साह भरपूर, भरसक दमखम, 

आँखें भावुक, समर्पित और नम,

मानो समय स्थिर, गया था थम ।   (३६)


काबिल-ए-तारीफ़ वो होंसला अफजाई,

चारों तरफ़ बस थी अच्छाई,

नमन करे जैसे परछाई,  

धरती पर आ गई ख़ुदाई ।       (४०)


उस जज़्बे को किया सलाम,

हाथ जोड़े सिख हिन्दू इस्लाम,

हर जुबां पे ईश्वर नाम,

नफ़रत को लग गया विराम ।     (४४)


थी मिसाल, ये था आदर्श,

नभ ने धरा को किया स्पर्श,

थी शुक्रगुज़ारी, और था उत्कर्ष,

कर्मवीर रणधीर, ये ही निष्कर्ष,

कर्मवीर रणधीर, ये ही निष्कर्ष ।    (४९)


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