मेरी ही ख़ातिर
सिर्फ़ मेरी ख़ातिर ,
ये सब हैं हाज़िर,
ये हिन्द के नायक,
कुछ करें ना ज़ाहिर । 4
बिन खुद की परवाह,
मेरी करें रक्षा,
दें सीख व शिक्षा,
ये रब का दर्जा । 8
कल ना थी कद्र,
अब होता फक्र,
गोल घूमा चक्र,
ये भले व भद्र । 12
ये जैसे योद्धा,
हम केवल श्रोता,
पकड़ें ये कमान,
ना कोई समझोता । 16
हो सब्ज़ी वाला,
या किराने वाला,
मेरा रखवाला,
ये जैसे शिवाला । 20
ये सफाई कर्मचारी,
मैं हूँ आभारी,
कूड़ा ये उठाते,
लें ज़िम्मेदारी । 24
ये पुलिस सिपाही,
जैसे बड़े भाई,
मेरे सलाहकर,
है भलाई चाही । 28
इनका भी घर,
पर छोड़ डगर,
करते ये सेवा,
ये हैं ईश्वर । 36
मेरे इनपर कर्ज़,
मैं निभाऊँ फर्ज़,
इंका सम्मान,
करूँ इनपर गर्व । 40
ये सच्चे सहायक,
हैं ये ही विनायक,
होनहार सपूत,
काबिल और लायक । 44
स्वरचित - अभिनव ✍????
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