Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरी ही ख़ातिर

 

मेरी ही ख़ातिर

 

सिर्फ़ मेरी ख़ातिर ,

ये सब हैं हाज़िर,

ये हिन्द के नायक,

कुछ करें ना ज़ाहिर ।           4

 

बिन खुद की परवाह,

मेरी करें रक्षा,

दें सीख व शिक्षा,

ये रब का दर्जा ।                     8     

 

कल ना थी कद्र,

अब होता फक्र,  

गोल घूमा चक्र, 

ये भले व भद्र ।                   12

 

ये जैसे योद्धा, 

हम केवल श्रोता, 

पकड़ें ये कमान, 

ना कोई समझोता ।              16

 

हो सब्ज़ी वाला,

या किराने वाला, 

मेरा रखवाला,

ये जैसे शिवाला ।                 20

 

ये सफाई कर्मचारी, 

मैं हूँ आभारी,

कूड़ा ये उठाते, 

लें ज़िम्मेदारी ।                    24

 

ये पुलिस सिपाही, 

जैसे बड़े भाई,

मेरे सलाहकर, 

है भलाई चाही ।                 28

 

इनका भी घर,

पर छोड़ डगर, 

करते ये सेवा, 

ये हैं ईश्वर ।                       36

 

मेरे इनपर कर्ज़, 

मैं निभाऊँ फर्ज़, 

इंका सम्मान, 

करूँ इनपर गर्व ।               40

 

ये सच्चे सहायक, 

हैं ये ही विनायक,

होनहार सपूत,

काबिल और लायक ।          44 

 

स्वरचित - अभिनव ✍???? 




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