Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आज हुआ क्या जो समय,से पहेले उजाला हो,गया

 

आज हुआ क्या जो समय,से पहेले उजाला हो,गया
था पहेले इंसा का रंग लाल अब काला,हो गया
रूतवे मे वो बढ ग़ए हर,नजरो पे यहा,
जबसे मेरे शहर मे पैसा,जमीर से आला,हो गया
लग रहा डर अब बात करने,मे हमे उनसे
पता चला है जब यार
मेरा,किसी करोड पाति,का साला हो गया

 

 

आभिषेक जैन

 

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