Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

आजकल लोग हमसे

 

 

आजकल लोग हमसे,
मिलने आने लगे,है
खुद भी हंसते और हमे,भी हंसाने,लगे है
हमसे मिलते है अपनो की,तरह
अपनो को भी मिलाने लगे,है
दुख भरे दिन बीत गये,सुख के दिन आने,लगे
अब तो हर चेहरे पे मुस्कान,आ ग़ई यहा
देखके हम भी खूब
गुदगुदाने,लगे है

 

 

 

आभिषेक जैन

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ