Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अब कुछ ना बचा है होनो को

 

 

अब कुछ ना बचा है होनो को

बहुत खो दिया खोने को

जुदाई एक सवालिया निशा बनी

अब तो आयै गम डूबोने को

रात बेचैन कर जाती है

नही आती है नीद चैन से सोनो को

 

 

 

आभिषेक जैन

 

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