Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अब नही कही गम

 

अब नही कही गम
के,बादल रहेगे
बरस,रहे होगे हमारे
जहा,को छोडके
जाने है तो जाये किसने,रोका है
जाने बस जगह वहा को,छोडके
जिस्म से रूह जुदा हो ग़ई
हमारे जैसे ही जहा छोड,के
सब कुछ मैला हो गया,यहा
चलने वाली हवा को छोडके
अब मोहब्बत करता नही,मै कभी
मोहब्बत होती नही
कभी वफा को छोडके

 

 

Abhishek Jain

 

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