Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अमीरो को चिन्ता है

 

 

अमीरो को चिन्ता है
तिजोरियो,मे नोटो की
लोकतंत्र से ज्यादा चिन्ता है नेता जी को वोटो,की
पेट भरे क्या चिन्ता चूल्हे,
जबतक शादी ना हो
तबतक चिन्ता रहती है दुल्हन को दूल्हे की
आशिक को कहा चिन्ता रहती पत्र की परीक्षा की
करता रहता है वो चिन्ता वो गजल की समीक्षा की

 

 

 

आभिषेक जैन

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