Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अपनो को छोडा

 

 

अपनो को छोडा
दिल को भी तोडा,
दुनिया की एक ना मानी,
बस तेरी तस्वीर लिये
फिरता,रहा
लिखता रहा मै कहानी,
जब मै भी सोचा किया,
बैठकर
आये आँखो मे पानी
वो याद मे रही आज भी,
जो है बहुत पुरानी
यादे के दीपक जलाये है दिल मे,
यादे है कितनी सुहानी
हम है अकेले
दुनिया के मेले
रोके यहा रूकता कहा है,
पंछी,और बहता पानी

 

 

आभिषेक जैन

 

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