Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आई बचपन की याद सुहानी

 

 

आई बचपन की याद सुहानी

सुना करते दादी से कहानी
करते थे रोज नादानी

कभी करते शैतानी

जाते थे खेलने जो खेल

नही रहता ध्यान और हो जाते परीछा मे फेल

फेल होकर हम घर को आते

रोते हुऐ मा से लिपट जाते
मा झट से होठे पे मुस्कान लाती थी

फिर मेहनत की पहचान लाती थी
खेलना बंद पढाई मे जुड जाते थे

आते थी छट्टिया तो मामा के यहा रुक जाते थे

खूब खाते सेबफल और आईसकिरम

नाना की वो दुनिया लगती जैसे डिरीम

 

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