Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बहुत रुलाती है ये प्याज

 

बहुत रुलाती है ये प्याज

साठ मे अब आती है प्याज

गरीब का थी कभी जायका

अब उन्हे रूलाती है ये प्याज

बढे दाम इसके फिर लाचार है जनता

अब बहुत कम खाती ये प्याज

याद बहुत आती है ये प्याज

खून के आँसू रूलाती है ये प्याज

 

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