Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बहुत याद आते है

 

 

 

बहुत याद आते है
वो महफिल जमी वो यारो,की मस्ती
पानी मे तैरता वो दिलकश,थी कश्ती
वो लोग थे अपने
अपनी थी हस्ती
लोग कहते थे थी
ये मोहब्बत के शायर
की,बस्ती
आँख मे आँसू तैर जाते,है
जब वो दिन याद आते,है
वो रूठना मनाना चलता,रहा था
दुश्मन भी प्यार से पलता,रहा था

 

 

 

आभिषेक जैन

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