Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बिना सहारा चलने की आदत हो ग़ई

 

बिना सहारा चलने की आदत हो ग़ई

चलाने वाली मुझको थककर सो ग़ई है
पहेली डरता था गिरने से

अब क्यो डरु अबतो उमर हो ग़ई है

बढावा दिया मुझे हौसला भी

उसी कारण गिरने की हिम्मत हो ग़ई है

 

 

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