Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चरचा मेरी मोहब्बत आम,हो गया

 

चरचा मेरी मोहब्बत आम,हो गया
दिल इससे बदनाम हो गया,
मेरी नाकामी को देख के,यू हँसने वाले,
मेरा साथ तु भी तो नाकाम,हो गया
घिर ग़ई फिजा रूठे रंग,मे
मेरे दिल भी उसमे गुनाम,हो गया

 

 

 

आभिषेक जैन

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