Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दूर कही जब दिन ढलता है

 


 

दूर कही जब दिन ढलता है

शाम का चाद निकलता है
चादनी भी आसामा के साथ रहती है

जो हमसे एकता की सीख कहती है

हम लडते भिडते है नही रहते साथ मे साथी
दीया की हो जाऐ लडाई तो कैसे जलेगी बाती

हमसे अच्छे सब होते है
वो नही लडकर प्यार को खोते है

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