हमको कहा पसंद है दबदबके जीना
कैसे भी हो गम के घूट को पडेगा पीना
पीते आये है हम महगाई का घूट
देखा आज मची है कायरता की लूट
कायरता की लूट मची है आज यहा पे
नही मिलती है जीने की छूट जहा पे
राम के राज मे आज किसानौ को मरते देखा
लूटा सबकुछ तो खुदकुशी करते देखा
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY