इतिहास मे अपना नाम अमर करने वाले
विदेशी दुश्मन से थे लडने वाले
हर बालर की चुनौती कौ बल्ले से जबाब देते थे
फिर जख्मे पे मुस्कान का जैसे गुलाब देते थे
हुई आलोचना का बल्ले से जबाब देते थे
अब लाखो दिल के राज दुलारे अब नही आयेगे
हो गे हम निराश जब उनकौ नही पायेगे
काम करने वाले थे
खेल पर मरने वाले थे
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