Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कागज पे लिखते रहे

 

 

कागज पे लिखते रहे हम गावो की पीर

कागज पर ही रह ग़ई गावो की तकदीर

पढ लिख जाते ग़ए सब शहरो की और

गाव से कटती रही यू शिछा की डोर

लोग देश के कर रहे फाको मे आभिमान

 कब ढूढोगे राम तुम काले धन की खान

 गाय भैस मिलती नही दूध दही भर मार

 माग पूरती कर रहा नकली कारोबार

 

 

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