खुद से डरने लगा हू मै
प्यार जबसे करने लगा हू मै
सफर मे आई याद तिरी
करके आँखो को बन्द चलने लगा हू मै
शिकार का डर अजी कहा है हमे
जान हथेली पे रखकर तिरी गली से निकलने लगा हू मै
अब नही रुलाऐगे अश्क तेरी यादो के
उसी मौसम जो ढलने लगा हू मॅ
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