Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

किसी की आँख मे नमी,अच्छी नही लगती

 

 

किसी की आँख मे नमी,अच्छी नही लगती
रोते चेहरे पे मुस्कान कहा,है
पग पग खडी मुसीबत बडी,जिदंगी मे यहा
जीने यहा आसान कहा,है
जो सभी को साथ लेकर,चलता दुख सुख मे,यहा
मजहब को प्यार कहने,वाला इंसा कहा है
जो दे सभी रोटी
मुफ्त मे खाना
हर पेट मे हो दो वक्त का,दाना
ऐसा दीनो ऐ इंसा
मकान,कहा है
जो हम कभी बोला करते,है हमारी बोली मे,
वो मिसरी खोलती
उरदू महान,कहा है

 

 

 

Abhishek Jain

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ