Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कुछ ऐसे भी लोग यहा,रहते है भाई

 

 

कुछ ऐसे भी लोग यहा,रहते है भाई
जो तुमे बुरा कहते है भाई,
कहते है पैसा आदमी को,अंधा बना देता है
उसके बिना कुछ नही
दिखता,है
जिसके हाथ ये रहेगा
वही,यहा टिकता है
पैसा इक ऐसा व्यापार,हो गया
यहा इसमे सबकुछ बिकता,है
एक बार मिल जाता है जिसे
वह नही कर पाता है
नही मर पाता है
सोता जागते पैसा ही दिखता,है
क्या सचमुच तुम भी बदल जायेगे
अफसर बनकर इसे
खूब खाओगे
पर रखना इतना ध्यान,
सबकुछ होगा तुम्हारे
पास,
बस हमको नही पाओगे,
हमारे बिना खुश रहना तुम
पैसो को अपना
या हमे अपना कहना तुम

 

 

 

Abhishek Jain

 

 

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