लगता है मेरे कलम के जजबात खो गये है
दरद के आज फिर एहसास सो गये
मिलती है दुनिया मेरी महफिल मे
चाहने वाले हाथ महफिल मे खो गये है
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लगता है मेरे कलम के जजबात खो गये है
दरद के आज फिर एहसास सो गये
मिलती है दुनिया मेरी महफिल मे
चाहने वाले हाथ महफिल मे खो गये है
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