Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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लगता है मेरे कलम के जजबात खो गये है

 

 

लगता है मेरे कलम के जजबात खो गये है

दरद के आज फिर एहसास सो गये

मिलती है दुनिया मेरी महफिल मे
चाहने वाले हाथ महफिल मे खो गये है

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