Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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लिखे थे वादे सडक के,किनारे

 

 

लिखे थे वादे सडक के,किनारे
कोई नही तुम्हारा
तो हम है तुम्हारे
कुछ नही तो रोटी
खिला,देगे
नही रहोगे गरीब कुबरे ,से तुमको मिला देगे
कितना फटा कपडा पहनेन हो
एक सफारी सूट तुमको,सिला देगे
अब नही होगा गम का अंधेरा
खुशीयो होगा हर दम सबेरा,
एक कमल खिला दो तो
हम विकास से तुमको मिला देगे

 

 

 

आभिषेक जैन

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