Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मै रहता था खामोश

 

 

मै रहता था खामोश और वो बोलती थी

निगाह की भाषा को शब्दो मे तोलती थी

मेरी खामोशी की भाषा को पल मे समझ जाती है

मै रहता था दूर मगर ख्वाबो मे तो आती थी

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ