Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मन मे उमंग रखना चाहिऐ

 

 

मन मे उमंग रखना चाहिऐ,
फिर दिलकश तंरग रखना,चाहिऐ
आसमान को जो छूने की,सीख दे हमे,
ऐसी दिलकश पतंग रखना,चाहिऐ
आज कोई यहा गम ना,रखना साथी
जीवन मे तुमको खुशीयो,के रंग रखना चाहिऐ,
ऐसी एकता जो हमेशा
प्यार ही दिखलाती,हो
हिन्दु को मुस्लिम संग रखना,चाहिऐ

 

 

 

आभिषेक जैन

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ