Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मन घायल है

 

 

मन घायल है पर विश्वास नही छोडा है
वक्त जालिम आया भले ही पर हौसला नही तोडा है
चुरा सकता हू फिजाओ से रंग है

क्योकि ऊपर वाला है अपने संग

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