Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मिरे दिल की गहराई मे नही समाते है

 

 

मिरे दिल की गहराई मे नही समाते है

ये झूठी लोग है जो मिलने आते है

बाहर से हँसी दिखाते है और अदंर से नफरत निभाते है

करते है जो चिन्ता हमारी हमारे सामने

हमारे जाते ही हमारी मौत की अगरबतिया लगाते है

मन मे बैर मे का खंजर छुपाया

और ऐ देखो हमारा दुश्मन हमारा दोस्त बनाने आया

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ