Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरे दिल मे ये,गहरे,निशा छोड,ग़ई

 

मेरे दिल मे ये,गहरे,निशा छोड,ग़ई||||

हम हुए जब परेसा,तब परेसा,छोड,ग़ई||||

आती नही मिलने,मुझको ,हुई,खफा जबसे ,वो||||

अब आती नही ,नीद,ख्वाबो मे,निशा,छोडग़ई||||

 

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