मेरे दिल से मेरे शब्द
निकलो,
कलाम की आवाज बनके,
पढ जो तो तुमको पढता,ही रहा
इतना खो जाये कि
खुद को ही भूल बैठे
अंदर उसके भी कुछ
देर गमो का शूल बैठे
कल्पनाओ की उडान दो,ऐसी
दूर गगन तक
परवाज,बनके,
खो जाये उसे
पढने वाला
दूर दूर तक,
जैसे कोई बच्चा
की रोली मे खोता हो,
मदमस्त करदो
सुरीली साज बनके
जो भी सुने तो
सुनता ही रहे
रात दिन
बस यू ही
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