Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरी आँख से नीद,गायब हो ,ग़ई

 

 

मेरी आँख से नीद,गायब हो ,ग़ई||1||

मुझको सताने वाली,चैन से,सो,ग़ई||2||

आँख हुई लाल,रात ,बहुत हो ग़ई||3||

मै जागता रहा,वो,चैन से सो,ग़ई

अब बहुत हो गया,तुझपे है,गुस्सा,आता||||

पिता जी का दिल,भर जाता||||

मा कहने लगी,करले शादी उमर,हो ग़ई

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