मेरी मा रो रही थी
जो महगाई का बोझ ढो रही थी
लेती नही थी नाम प्याज का
थाली मे साथ तक उसका खो रही थी
उसका जीवन दुख मे था बीता
सुख के बिना रीता रीता
हमको देती थी सुला रातो को
खुद कहा सो रही थी मेरी मा रो रही थी
करती रही चिन्ता दिनरात मिरी
अपनी खुशी तक डूबो रही थी
मेरी मा रो रही थी
नही आने दिये आँसू मिरी आँखौ मे
नही आने दिये गम मिरी बातो मे
दिखने को हमसबकौ
आँखे बन्दकर सो रही थी
मेरी मा रो रही थी
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