Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरी यादे भी अकसर मेरा रास्ता रोक देती हैं

 

मेरी यादे भी अकसर मेरा रास्ता रोक देती हैं
रोक कर रास्ता मेरा वो मुझसे कहती हैं

 

कब तक यूं घूमोगे इस जलती धुप में तुम abhi
आओ चलकर बैठें कहीं जहा बीते िदनो की यादें हो

 

चलो उस लम्हे की बाते करे

जो कभी तुमने गुज़ारे थे

 

उस लम्हे की बाते करें जब तुम्हे इश्क हुआ था

 

उस लम्हे की बाते करें जब कोई फूल िखला था
उस लम्हे की बाते करें जब कोई तुम्हारा अपना था

 

मैंने कहा यादो से की अब न आना उन रास्तो में तुम जो कब का मैंने छोड़ िदये
अब न वो लम्हे हैं न वो इश्क रहा
अब न वो बाते है और न अब वो वक़्त रहा

 

मैंने गुजारे थे जो पल कभी अब वो पल कहीं खो गए हैं
इश्क हुआ था कभी पर अब तो उसकी बात से भी सहम जाता हु

 

अब न कोई फूल है हर राह में कांटे ही कांटे है
अब न कोई मेरा अपना है न ऐसा कोई अब मेरा सपना है
अब न रोकना कभी रास्ता मेरा अब ये वक़्त मेरा अपना है

 

 

 

अभिषेक शुक्ला

 

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