Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ना कुछ खोने की इच्छा

 

 

ना कुछ खोने की इच्छा

ना तेरा होना की इच्छा होती

दरद मे कौन रोता है

तेरी यादे की गठरी को कोन ढोता है

भूलने की आदत हो ग़ई तुझको 

भूलाकर आशिकौ की टोली सो ग़ई है

 

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