Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्यार के चक्कर मिलते है धोखे

 

प्यार के चक्कर मिलते है धोखे

कहा मानते है ये किसी के रोके

जब चोट जिगर खाते है

तब ये सोचते है

काश हम इन मोहब्बत के चक्करो ना होते
कहते है जब खाते नही ठोकर कहा होता है ध्यान
इश्क आग का दारिया है नही है आसान नही है आसान
इसमे आशिक को मरते देखा

कुछ हुआ नही तो तो दारु खोरी करता देखा

 

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