Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रात भर ख्वाब आँखो मे घूमते है

 

रात भर ख्वाब आँखो मे घूमते है

तडपाकर मुझको खुशी से झूमते है
कही बनाके जमाने के गम नफरत दे जाते है
कभी बनाके मा का प्यार माथे को चूमते है
बनाके अपना कभी पराया बना जाते है

कभी पराये बनाके प्यार दिखा जाते है

 

 

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