साचिन जब खेल से दूर जाऐगे
दरशक भी उनको भूल जाऐगे
अभी शोर इतना होता है
नही कोई गम मे रोता है
मुब़ई मे आखिरी बार दिखाऐगे
साचिन जब खेल से दूर जाऐगे
दरशक उनको भूल जाऐगे
एक समय ऐसा आया था
जब उन्होने विश्वकप दिलाया था
क़ई बार किया निराश
जागी रही फिर भी आस
जब वो देखकर निराश हौ जाऐगे
टीम इंडिया मे जब खुद को नही पाऐगे
ऊगता को नमन करता है
पूरा विश्व दम भरता रहा
अब आखिरी क्यौ वो निराशा दिखाऐगे
साचिन को दरशक भूल जाऐगे
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