Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सूरज की रोशनी हैरा बहुत देखी है

 

सूरज की रोशनी हैरा बहुत देखी है

चाद की चादनी वीरन बहुत देखी है

नजर ने धोखा है जबसे हमने अब राहे

अब शमशान बहुत देखी है

नफरत के बाग फूल खिले कैसे

यहा राहे शैतान बहुत देखी है
हर पल बदलता है मौसम सुहाना यहा

आशिक को मिलती धमकी सारेआम हमने देखी है

 

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