Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुझको चाहने की कीमत चुकाने लगे है

 

 

तुझको चाहने की कीमत चुकाने लगे है

हम तुझसे मिलने आने लगे है

हमने तो दी थी हँसी जिनको

वो अब हमको रूलाने लगे है

हमने तौ मानी थी हर बात जिनकी

वो फिर क्यो हमको सताने लगे है

जब जब बडे है फासले ये दिल के

ख्वाबो मिलने वो आने लगे है

नही हौती अब जीने की इच्छा

मरने को हम जाने लगे है

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