Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुमको यहा जख्म से

 

 

तुमको यहा जख्म से
भरे,जब दिल मिलेगे
मरहम नही लगाओगे,उनमे
सफर मे जब बेगाने मिलेगे,तुमे
तब क्या हमसे ढूढ
पाओगे,उनमे
आयेगे रूलाने आँसू जब,तुमे
क्या रोकर हँस पाऐगे वहा,

 

 

आभिषेक जैन

 

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