टूट गया हर इक सपना
नही रहा अब दिल अपना
अब तू मायूसी मे जीने की आदत है
गम मिले तो उसका भी स्वागत है
टूटा दिल और रूह आहत है
खुद गरजी ने खुशीयो को छीन लिया
गिरे थे जो मेरे जेब से पैसे
उनको औरो ने बीन लिया
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टूट गया हर इक सपना
नही रहा अब दिल अपना
अब तू मायूसी मे जीने की आदत है
गम मिले तो उसका भी स्वागत है
टूटा दिल और रूह आहत है
खुद गरजी ने खुशीयो को छीन लिया
गिरे थे जो मेरे जेब से पैसे
उनको औरो ने बीन लिया
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