Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो कलमकार बहुत मेहनत,से अपनी रचना

 

 

वो कलमकार बहुत मेहनत,से अपनी रचना को,लिखता था
समाज का दरद उसके,शब्दो मे दिखता था,
वो नही कल्पना शाक्ती ,से काविता बनाने मे,माहिर था
जो सच है उसको वो सच,ही तो लिखता था
उसने भूख ऐसी देखी पेट,नही अब रोटी थी
मानो उसकी ये जिदंगी,बहुत ही छोटी थी,
फिर भी वो लिखते ही गया,
सच नही अब बाजार मे बिकता था
उसके मन मे झूठ फिर भी,नही टिकता था

 

 

 

आभिषेक जैन

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