Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो सुबह नही फिर आऐगी

 

 

वो सुबह नही फिर आऐगी,ये सोच सोच घबराता,है
रंज गम और गम के मौसम को जब भी राहो,पाता,हू
एक पल की खुशी भी मिल,ना सकी
वो मुरझाई कली फिर खिल,ना सकी
मिलते मिलते जब आदत,हुई
तब क्यो मै बिछड जाता,हू
देके खुशी अब रूलाया,नही
अब अपनो तु पराया ,ना कर
यही बार बार समझाता,हू

 

 

 

आभिषेक जैन

 

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