ये कुरसी भी क्या क्या खेल दिखाती है
कभी हँसाती तो कभी रूलाती है
हम नेताओ के काम बहुत आती है
यही तो हमे आम से खास बनाती है
चुनाव मे भौली जनता का साथ मिला
थोडा काम का ईमान जनता ही तो दिलाती है
ये कुरसी क्या क्या खेल दिखाती है
तेरी जादूई मुझको रूलानै लगी
नही मिली सीट तो जान जाने लगी
सपने मे तु अक्सर आती है
कभी कभी आराम भी तौ कराती है
ना जाने कौन से नाच दिखाती है
ये कुरसी तु बहुत याद आती है
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