जिदंगी जब बोझ मे भारी हो जाऐगी
जिदंगी की गम से यारी हो जाऐगी
यू घूटघूटकर जीते रहे जो हम जिदंगी
मौत को प्यारी हो जाऐगी
देखो सपनो मगर आशा छोडके बरना
पूरी करने की उम्मीद जारी हो जाऐगी
सुबह के ऊपर गम भरी रात भारी हो जाऐगी
Powered by Froala Editor
जिदंगी जब बोझ मे भारी हो जाऐगी
जिदंगी की गम से यारी हो जाऐगी
यू घूटघूटकर जीते रहे जो हम जिदंगी
मौत को प्यारी हो जाऐगी
देखो सपनो मगर आशा छोडके बरना
पूरी करने की उम्मीद जारी हो जाऐगी
सुबह के ऊपर गम भरी रात भारी हो जाऐगी
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY