बहुत दे ग़ई खुशीया
रूलाने,के पहेले
बहुत खो दिया हमने
तुमको पाने के पहेले
हंसी कबतक यही सोचता,हू मै
आँख मे ये आँसू आने के,पहेले
कौन था मेरा अकेला था मुसाफिर मै
तुमसे यहा दिल लगाने,के पेहले
आभिषेक जैन
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बहुत दे ग़ई खुशीया
रूलाने,के पहेले
बहुत खो दिया हमने
तुमको पाने के पहेले
हंसी कबतक यही सोचता,हू मै
आँख मे ये आँसू आने के,पहेले
कौन था मेरा अकेला था मुसाफिर मै
तुमसे यहा दिल लगाने,के पेहले
आभिषेक जैन
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