Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बच्चे चाहे हों बुरे, मात पिता को भात

 


बच्चे चाहे हों बुरे, मात पिता को भात।
इनकी बारी आत तो, ये क्यूँ मारे लात।१।

 

दुःख की कोई घड़ी, जीवन में जब आय।
तब राम नाम ही होत,एकहि मात्र सहाय।२।


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पथ की ओर अग्रसर हो, चलते जो दिन रात।
कामयाबी मिलती है, जिनमें हो जज़्बात ।१।

 

गुमसुम मत रहना कभी, करना सबसे बात।
मन को ख़ुश रखना सदा, जैसे हो हालात ।२।


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सांस की हर डोर बँधी, पिया के सँग ही मोर।
आज आनंदित उन से, जीवन का हर पोर।१।

 

सदा सुहागिन मैं रहूँ, हरपल पी के साथ।
हर मुश्किल आसान हो, जब हाथों में हाथ।२।

 

 


--अभिषेक कुमार ''अभी''

 

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