Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

शेर

 

 

भटक रहा,
दुनियाँ से मानव,
होके विमुख ।१।

 

अच्छे-बुरे में,
फ़र्क ना समझे,
होके सम्मुख ।२।

 

ठका जा रहा,
वक़्त के हाथों आज,
बनके मूर्ख ।३।

 

विधि-विधान,
समझ ना महान,
तभी कल्याण ।४।

 

चलना साथ,
लेके हाथों में हाथ,
मिले पर्मार्थ ।५।

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ