Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

घर से दूर जब GPL में हम आये थे

 

 

घर से दूर जब GPL में हम आये थे..
बहुत से अरमान कई सपने सजो के लाये थे..
नवाबो के शहर ने हमें लुभाया बहुत था..
GPL पाने का गुरुर हमें आया बहुत था..
पापा के साथ आना हमें अच्छा लगा था..
कुछ ही सही पर कुछ दिन हमें अच्छा लगा था..
Addmission के समय कुछ दोस्त बन गए..
जाने-अनजाने नए रंगो में रंग गए..
जब इन्ही रंगो में नए रंग मिल जायेंगे..
ये GPL के दिन हमें याद बहुत आएंगे..

 

 

Hostel न मिलने से हमें तकलीफे बहुत हुयी..
नए शहर में हमको तक़लीफे बहुत हुयी..
किराये के मकान जब लेने को गए..
4000 रूपये सुन के हम चौक गए..
जैसे-तैसे मकान में बसेरा किया अपना..
तबसे उसी मकान में सवेरा किया अपना..
रोज़ नये लिहाज़ नये लिहाब में ढ़लते जाना..
मम्मी की रोटी गोल कैसे ? ये तब जाके जाना..
उस दिन माँ की याद में दिल बहुत रोया था..
जब नींद नहीं थी आँखो में और भूखे पेट सोया था..
जब कभी भी रातो में ये सपने हमे आयेंगे..
ये GPL के दिन हमें याद बहुत आएंगे..

 

 

याद आयेगी वो पहली class..
जब बैठे थे हम साथ-साथ..
याद आयेंगी ये छोटी-छोटी बातें..
Complex पे हुयी जो आपसे मुलाकाते..
गुज़र जाता था मस्ती में सारा दिन..
नहीं जाते थे बाहर कभी दोस्तों के बिन..
रह जायेंगी सिर्फ ये निशानियाँ..
कुछ दोस्तों की प्रेम कहानिया..
बैठ अकेले में जब ये गीत गुनगुनाएंगे..
ये GPL के दिन हमें याद बहुत आएंगे..

 

 

वो games में धूम मचाना..
वो principal sir का गाना..
वो D.N. sir का खुशनुमा मिज़ाज़..
वो Anand sir का शायराना अंदाज..
Verma sir से मिला वो पिता सा प्यार..
Meenu maim का दिया वो माँ सा प्यार..
सभी teachers से मिला हमे अपनों सा प्यार..
कुछ पल को तो हम घर भूल गए यार..
जब कभी हम आपसे किसी मोड़ पर मिल जायेंगे..
ये GPL के दिन हमें याद बहुत आएंगे..

 


..आवारा आशिक़..

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ