Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हो जो देवदार-ए अगार हुस्न-ए-सनम से लिखना

 

हो जो देवदार-ए अगार हुस्न-ए-सनम से लिखना

अबकी बारहाट मुझे भीगे जो चुनर को लिहाना


यू टू कुच लोग लिख उठे गजल बगावत के

गर जो लिखानी हो मुहब्बत कू गजल से लिखाना


 हर कोइ छटा है हर कोइ जान हमको

हर कोइ तुजखो भई जान कुच आइसा ते लखना


ज़मीर सबका है तो गया है मुझे जामने का

कहि तोहि जो दीखे जगति ज़मीर ते लखाना


इश्क़ की राह मे जिधर भी देखो काते है ।।

कहि खइल जो मोहब्बत की कमल को


 : - अभिजीत शर्मा


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