Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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किस्मत के गुरुर को चूर चूर न कर सका

 

 

किस्मत के गुरुर को चूर चूर न कर सका..
खुद को कभी तुझसे दूर न कर सका..

 

अफ़सोस रहेगा ज़िन्दगी में इस बात का मुझे..
कि मैं तेरी मांग में सिन्दूर न भर सका..

 

तलाश थी उसे खुसबुओ भरी ज़िन्दगी की..
मैं माली होकर भी उसके दामन में फूल न भर सका..

 

वो चाँद था जो रौशन था मेरे दम पर..
मैं सूरज होकर भी उसे बेनूर न कर सका..

 

ये प्यासे होठ उसकी होठ के इन्तजार में मर गए..
समंदर चाह के भी मुझको मजबूर न कर सका..

 

 

(आवारा आशिक़)

अभिजीत शर्मा

 

 

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